अपना स्वभाव कैसे बदलें?
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दुनिया में किसी भी व्यक्ति का स्वभाव ऐसा नहीं है जिसमें सुधारना नहीं करना पड़े। हर इंसान के स्वभाव में कुछ ना कुछ कमियां जरूर पाया जाता हैै। यदि हम उस कमियां को समय से दूर कर दे तो हमारा स्वभाव उत्तम हो सकता है।
मनुष्य का स्वभाव ही उसको सफल या असफल, लोकप्रिय या और अलोकप्रिय बनाता है। यदि आपका स्वभाव क्रोधी जैसा है तो आप को कोई भी पसंद नहीं करता। आपसे कोई भी बात नहीं करता। सभी आपसे दूर दूर रहते हैं।
यदि आपका स्वभाव मधुर और नम्र हैं। सभी आपको चाहते हैं। सभी आप से बात करना पसंद करते हैं। आप अपने क्षेत्र में लोकप्रिय बन जाते हैं।
पारिवारिक जीवन में स्वभाव का बड़ा ही महत्व है। यदि पति पत्नी का स्वभाव अच्छा है तो घर स्वर्ग बन जाता है। यदि उन दोनों का स्वभाव अच्छा नहीं है तो घर नर्क बन जाता है।
स्वर्ग और नर्क दोनों आपके स्वभाव पर निर्भर हैं।
कहा गया है यदि आपका स्वभाव अच्छा है तो धरती ही आपके लिए स्वर्ग है। यदि आपका स्वभाव बुरा है तो यह धरती आपके लिए नर्क के समान है।
महात्मा बुद्ध अपने अनुयायियों को हमेशा कहते रहते कि इस धरती पर स्वर्ग और नरक दोनों हैं। एक बार उनका एक अनुयायि पूछा गुरुदेव हमें दिखाइए इस धरती पर स्वर्ग और नरक दोनों कहां है।
महात्मा बुद्ध उनके साथ भिक्षा मांगने निकले। एक घर के सामने खड़े हो गया। वह घर में पति पत्नी और बच्चे सभी बहुत खुश थे। आपस में हस हस के बात कर रहे थे। लेकिन बहुत ही गरीब थे।
महात्मा बुद्ध ने आवाज लगाया, बच्चा कुछ भिक्षा मिलेगा। पति पत्नी में हाथ जोड़कर कहा महात्मा आज आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। मुझे माफ करें। महात्मा बुद्ध वहां से आगे चल गया।
दूसरे घर के पास खड़े हुए। उस घर में पति पत्नी को बुरी तरह पीट रहा था। अपनी मां को पीटते देख दोनों बच्चे जोर जोर से रो रहे थे।
महात्मा बुद्ध घर के सामने खड़े हुए। फिर आवाज लगाया बच्चा कुछ भिक्षा मिलेगा। पति घर से बाहर आया और कुछ पैसे दे दिए। महात्मा बुद्ध वहां से आगे चला गया।
शाम को महात्मा बुद्ध ने अपने उस अनुयायि को बताया कि आज दिन में जहां हमें कुछ भी भिक्षा नहीं मिला। पति-पत्नी आपस में खुश थे। वह घर स्वर्ग था। जहां हमें भिक्षा तो मिला पर वहां पति अपनी पत्नी को पीट रहा था, बच्चे रो रहे थे। वह घर नर्क था।
इस प्रकार धन-संपत्ति, परिवार सब कुछ होते हुए भी यदि हमारा स्वभाव अच्छा नहीं है तो हमारा घर नर्क बन जाता है। यदि हमारा स्वभाव अच्छा है तो हमारा घर स्वर्ग बन जाता है।
क्या हमारा स्वभाव बदला जा सकता है?
आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा क्या मनुष्य का स्वभाव बदला जा सकता है? इसका जवाब है हां। मनुष्य का स्वभाव बदला जा सकता है। पर उसमें कुछ समय लगता है।
हमें अपना स्वभाव बदलने के लिए थोड़ा मेहनत करना पड़ता है। इस संबंध में मैं आपको एक सच्ची कहानी बता रहा हूं।
कुछ साल पहले मेरे एक मिलने वाले को एक राजनीतिक पार्टी में विधानसभा चुनाव का टिकट मिला। मैं व्यक्ति और पार्टी का नाम गुप्त रखे रहा हूं क्योंकि किसी व्यक्ति का नाम ओपन करना ठीक नहीं।
इस व्यक्ति को गुस्सा बहुत आता था तथा हर बात पर उसके मुंह से गाली निकलता था। उसको किसी ने सलाह दिया यदि तुम चुनाव जीतना चाहते हो तो तुम्हारा यह स्वभाव बदलना पड़ेगा। क्योंकि गुस्सा और गाली देने से कोई भी तुम्हें वोट नहीं देगा और तुम चुनाव हार जाओगेे।
नेता जी ने इस समस्या को दूर करने के लिए एक साइक्लोजीस्ट के पास गया। उस डॉक्टर ने बताया कि मैं आपका प्रभाव कुछ ही दिनों में बदल दूंगा बस आपको मेरे साथ रहना पड़ेगा।
उस डॉक्टर ने नेताजी के साथ यह शर्त किया कि जब भी आपको गुस्सा आएगा आप मुझे ₹ 100 दोगे। नेताजी के पास और कोई उपाय नहीं था इसलिए उन्होंने हां भर दी। मन ही मन नेताजी ने सोच लिया कि चाहे डॉक्टर कुछ भी बोले मुझे गुस्सा नहीं करना है।
डॉक्टर ने कुछ देर बाद नेता जी को कहा आपको टिकट तो मिल गया है। लेकिन जैसा मुझे पता है आप एक नंबर के बदमाश और गुंडा हैं। कौन वोट देगा कि आप चुनाव जीत जाओगे। नेताजी को गुस्सा आया और बोला, डॉक्टर ज़बान संभाल के बोल जानता नहीं मैं कौन हूं।
डॉक्टर ने कहा, आप भले कोई भी हो अभी शर्त के अनुसार ₹100 मुझे लाइए। नेताजी को याद आया अरे मुझे गुस्सा आ गया। उन्होंने ₹100 निकालकर डॉक्टर को दे दिया।
कुछ देर बाद डॉक्टर ने फिर कहा नेताजी कुछ लोग बता रहे हैं कि आपके परिवार में सभी लोग घटिया है। आपके पिताजी तो कई बार जेल भी गए हैं। जैसा बाप बदमाश वैसा ही बेटा बदमाश होता है।
इस बार नेता जी को बहुत गुस्सा आया। वह बोले कौन सा* मेरे बाप के बारे में ऐसा बात बोलता है। उसे मैं जिंदा नहीं छोडूंगा। डॉक्टर साहब मुस्कुराते हुए बोले ₹100 निकालीए।
नेताजी को फिर शर्म आई। यह क्या हो रहा है। बार-बार गुस्सा मुझे क्यों आ रहा है। अब मैं कसम खाता हूं कि आगे से गुस्सा नहीं करूंगा।
डॉक्टर साहब ने बोला ₹100 दो। वैसे मुझे आप पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। क्योंकि आप एक नंबर के बेईमान और धोखेबाज इंसान हैं। आप अभी के अभी ₹100 निकालिए।
डॉक्टर की आवाज सुनकर नेताजी तमतमा गए। फिर बोले मैं और बेईमान कौन सा* ने आपको कहा। डॉक्टर ने कहा 100 और जोड़ दीजिए ₹200 लाइए। नेताजी को फिर अफसोस करना पड़ा मुझे गुस्सा बार-बार क्यों आ रहा है।
दो-तीन दिन तक ऐसे ही नेता जी को गुस्सा आता रहा और डॉक्टर पैसा लेता रहा। धीरे धीरे 1 सप्ताह में नेताजी को गुस्सा आना बिल्कुल बंद हो गया। डॉक्टर उनको बार-बार समझाते थे।
यदि आपको चुनाव जीतना है तो आपको गुस्सा बिल्कुल नहीं करना पड़ेगा। इस प्रकार नेता जी ने अपना स्वभाव बिल्कुल बदल दिया और वह चुनाव जीत गए।
दोस्तों यह एक सच्ची कहानी है। यदि हम चाहे तो अपना स्वभाव बदल सकते हैं।
आपका स्वभाव आपका भविष्य बदल सकता है
एक बार एक मिठाई कंपनी के मालिक ने अपना डिस्ट्रीब्यूटर खोजने के लिए दूसरे शहर गया। वह यह पता लगाना चाहता था कि अच्छे स्वभाव के यहां पर कौन डिस्ट्रीब्यूटर मिलेगा जो हमारी मिठाई की बिक्री को बढ़ा सकता है।
वह अपना परिचय बिना बताएं एक मिठाई के दुकान पर गया। उन्होंने सभी मिठाइयों का भाव पूछा। एक एक कर 20-25 मिठाइयां टेस्ट कर लिया। बहुत देर के बाद में कहा कि ठीक है यह मिठाई 250 ग्राम दे दो।
उस व्यापारी ने मुस्कुराते हुए उन्हें 250 ग्राम मिठाई दे दी और कहा जब भी आपको मिठाई खाने का मन हो तो हमारे दुकान से ले जाइएगा। हाथ जोड़कर नमस्कार किया।
कुछ देर बाद मिठाई मालिक ने वापस उसी दुकानदार के पास आया और उसे अपनी कंपनी का डिसटीब्यूटर बना दिया।
यदि कोई दूसरा दुकानदार होता तो बोलता कि आधा घंटा से मुझे माथा मार रहे हो। आधी किलो मिठाई तो तुमने टेस्ट कर लिया। अब एक पाव मिठाई मांग रहे हो भागो यहां से। परंतु उस दुकानदार ने ऐसा नहीं कहा और उसका परिणाम यह हुआ कि वह एक बड़े कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर बन गया। उसका भविष्य बदल गया।
इस प्रकार हम अपने स्वभाव से अपना भविष्य बदल सकते हैं।
पत्नी के स्वभाव को कैसे बदले
पति और पत्नी का स्वभाव मिलना बहुत ही जरूरी है। जैसा कि ऊपर मैं आपको बताया कि यदि पति पत्नी का स्वभाव अच्छा है तो धरती पर स्वर्ग बन जाता है। यदि दोनों का स्वभाव अलग अलग है। दोनों में मेलजोल नहीं है तो यह धरती पर ही नर्क बन जाता है।
हमारे एक पड़ोस है। वह एक लेखक है। उनकी पत्नी बहुत ही झगड़ालू थी। एक बार मेरे पड़ोसी ने करीब 6 महीने मेहनत करके यह किताब लिखा थाा। एक दिन गुस्से में आकर उसकी पत्नी ने किताब को फाड़ के फेंक दिया।
मेरा वह पड़ोसी ने पत्नी को कुछ भी नहीं बोला और फिर वापस किताब को लिखने में लग गए। कुछ देर बाद पत्नी का गुस्सा शांत हुआ तो उसे बहुत ही अफसोस हुआ और उसने अपने पति से रोते हुए माफी मांगा।
पति ने उसे माफ कर दिया। उस दिन के बाद उसका स्वभाव बिल्कुल बदल गया। वह पति के काम में सहयोग करने लगे।
महान लोग कहते हैं कि यदि हम ₹10 नुकसान देखकर उस पर गुस्सा आ जाता है तो हम ₹20 का नुकसान कर देते हैं। जैसे कई बार हमारे घर मेंं बच्चे द्वारा ₹10 का कोई शीशे का गिलास टूट जाता हैैैै। हमेंं गुस्सा आ जाता है और हम उस गुस्से में ₹20 का और नुकसान कर बैठते हैं।
इस प्रकार हमारे स्वभाव के कारण ही हम, पत्नी और बच्चे आपस में नहीं मिल पाते हैं। यदि पत्नी से कोई गलती हो गया तो उसे हमें नजरअंदाज करना चाहिए।
कहा गया है
रिश्ते निभाने के लिए हमें
उसमें गलतियां को ढूंढने नहीं चाहिए
बल्कि उसे नजरअंदाज करना चाहिए।
स्टेशन गुरुजी
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