Motivational Story – दूसरे को मोटिवेट कैसे करें

Motivational Story in Hindi

जिस प्रकार जिंदा रहने के लिए हमें हवा,  पानी और भोजन की आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार जीवन में आगे बढ़ने और प्रगति करने के लिए हमेशा मोटिवेटेड रहना जरूरी है।

मालूम है कि ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशे अधूरी हैं।

पर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां भी जरूरी है।

अपने आप को हमेशा मोटिवेट करते  रहना चाहिए। क्योंकि चिंता, उदासी, डर इसके साथ हम जीवन में आगे नहीं बढ़ सकतेे। हमे जीवन में उत्साहित रहना चाहिए। हमारे जीवन में हमेशा उत्साह भरा होना चाहिए।

यदि विद्यार्थी परीक्षा में अच्छा नंबर लाना चाहता है। कोई अपने सपने को साकार करना चाहता है तो उसे अपने साथ दूसरों को भी  मोटिवेट करना पड़ेगा।  आपके साथ एक मोटिवेशनल कहानी शेयर कर रहा हूं। यह आपको मोटिवेशन लिए मददगार साबित होगा।

दूसरों को मोटिवेट कैसे करें?- महात्मा बुद्ध

यदि हमें खुद को प्रगतिशील और विकास पथ पर आगे चलना है तो हमें दूसरों का हमेशा मोटिवेट करते रहना चाहिए। जो इंसान दूसरों को मोटिवेट करेगा वह खुद मोटिवेशन के रास्ते पर आगे बढ़ता है।

चिंता और डर से जी रहा इन्सान  दूसरे को क्या रास्ता दिखाएगा। आज मैं आपको सच्ची प्ररेक कहानी शेयर कर रहा हूं  जिसमें दूसरों को मोटीवेट किया है।

महात्मा बुद्ध अपने शिष्य आनंद एवं कुछ बौद्ध भिक्षुओं के साथ यात्रा कर रहे थे। पूरे दिन चलते चलते महात्मा बुद्ध का शिष्य आनंद बहुत थक गया था। आनंद के मन में आ रहा था कहीं विश्राम कर ले।

महात्मा बुद्ध की  उम्र भी ज्यादा हो गया था। उन्हें भी थकान लग रहा थे लेकिन वह चलते जा रहे थे। अंत में आनंद से रहा नहीं किया। उन्होंने महात्मा बुध से पूछा महात्मा हम क्यों न  थोड़ी   विश्राम कर    लें।

महात्मा बुद्ध ने कहा मुझे शाम होने से पहले अगला गांव पहुंचना है। अगले गांव से पहले रास्ते में घना जंगल भी आता है। रात हो गई तो हम सभी को बहुत परेशानी हो जाएगी। इसलिए किसी भी हाल रात होने से पहले अगला गांव पहुंचना है।

महात्मा बुद्ध, आनंंद और  उनके अनुयाई चल रहे थे। रास्ते में एक व्यक्ति खेत में काम कर रहा था। आनंंद से रहा नहीं गया उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा कि महोदय बताएं कि अगला गांव कितना दूर है?

उन्होंने कहा बस अब आ ही गए हैं। अगला गांव केवल 2 किलोमीटर दूर है। महात्मा बुद्ध थोड़ा सा मुस्कुरा दिया। सभी लोग चलने लगेे। चलते चलते काफी दूर आ गए लेकिन वह गांव नहीं आया।

थोड़ी देर बाद रास्ते में एक पशु चराने वाला मिला। फिर आनन्द ने उनसे पूछा, श्रीमान यह बताइए अगला गांव यहां से कितना दूर है? पशु चराने वाले ने कहा  थोड़ा दूर है। आप आ ही गए हैं। केवल 2 किलोमीटर दूर है। महात्मा बुद्ध एक बार पुनः मुस्कुरा दिए।

काफी दूर चलने के बाद ही वह गांव नहीं आया। आनंद काफी थक गया था। काफी दूर चलने के बाद एक बूढ़ी औरत दिखाएं दिया। आनंद ने उससे पूछा, माता यह बताइए कि अगला गांव कितनी दूरी पर है। उस औरत ने कहा कि आप अगला गांव पहुंच ही गए हो। थोड़ी ही दूर केवल 2 किलोमीटर है।

महात्मा बुद्ध एक बार फिर मुस्कुरा दिया। आनंद  महात्मा बुद्ध एवं सभी अनुयाई ना चाहते हुए भी चलने लगे। काफी दूर चलने के बाद भी गांव दिखाई नहीं दिया।

आनंद काफी थक गया और अपना झोला नीचे रख लिया। आनंद ने महात्मा बुद्ध  से पूछा,  गुरु जी हम काफी दूर से सुन रहे हैं कि अगला गांव 2 किलोमीटर दूर हैं, 2 किलोमीटर दूर हैं, पर हम 20 किलोमीटर से भी अधिक चल लिए गांव अभी तक आया नहीं।

मुस्कुराते हुए महात्मा बुद्ध आनन्द के पास नीचे बैठ गए और बाकी लोग भी नीचे बैठ गए। महात्मा बुद्ध ने आनंद को कहा, आनंद हम पहले भी    इस रास्ते से आ चुके हैं। अगला गांव अभी भी यहां से 20 किलोमीटर दूर है और हम लोग करीब 20 किलोमीटर चल चुके हैं।

यह बात सुन आनंद को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने महात्मा बुद्ध से पूछा,  गुरु जी रास्ते में किसान, पशु चराने वाला, बूढ़ी माता  हमसे झूठ क्यों बोला कि अगला गांव  2 किलोमीटर दूर है।

महात्मा बुद्ध ने कहा हमें वह सभी मोटिवेट कर रहा था। यदि खेत में काम करने वाला किसान तुम्हें यह बताता कि अगला गांव यहां से 40 किलोमीटर दूर है तो क्या तुम यहां तक आ पाते? कभी नहीं आ पाते।

महात्मा बुद्ध ने आगे कहा उसके झूठ में एक मोटिवेशन छुपा हुआ है। जिसके दम पर तुम 20 किलोमीटर  तक की यात्रा कर लिया। इसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए।

इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी व्यक्ति सफलता की राह पर चल रहा है हमें उसे प्रोत्साहित करनी चाहिए। हमें कभी भी उससे निराशा की बात नहीं करनी चाहिए।

कई बार होता है‌ हम जिस रास्ते से गुजरे हैं वह रास्ता काफी लंबा होता है। लेकिन हमने उस रास्ते पर चलकर लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। दूसरा व्यक्ति भी उसी रास्ते पर चलकर  मंजिल प्राप्त करना चाहता है।

हमें कभी भी उस व्यक्ति को यह नहीं बताना चाहिए कि रास्ता बहुत लंबा है या यह काम नहीं होगा। जो काम आप कर लिए हैं वह व्यक्ति भी वह काम कर सकता है। यदि हम उस व्यक्ति को  सच्चाई बता देते हैं तो हो सकता है कि वह अपने मंजिल से वापस मुड़ जाएं और मंजिल से दूर चला जाए।

लेकिन  प्रोत्साहित करने के लिए हमें उसे मंजिल की ओर भेजना चाहिए। कहा गया है यदि कोई मंजिल के बीच रास्ते से वापस आता है तो उसमें भी उसे उतना ही समय लगता है जितना  मंजिल तक पहुंचने में।

यदि हमारे बोलने से या थोड़ा सा प्रोत्साहित करने से कोई व्यक्ति अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेता है या अपने सपने को साकार कर लेता है हमारे लिए भी अच्छी बात है।

आज से हम जहां बात मन में ठान ले कि हमारे आसपास या जो भी हमारे संपर्क में हैं हम हमेशा उसे प्रोत्साहित करते रहेंगे। जैसे डॉक्टर किसी व्यक्ति को ठीक कर देता है ठीक उसी प्रकार एक मोटिवेशनल व्यक्ति एक दूसरे चिंता ग्रस्त और निराशावादी व्यक्ति में एक नया जान फूंक सकता है।

आशा ही जीवन है। आशावादी व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। इसलिए दूसरे को मोटिवेट करते रहे और उसमें आशा की किरण  जिंदा रखें।

धन्यवाद।

Author

  • Madan Jha

    Hello friends, मेरा नाम मदन झा है। मैं LNMU Darbhanga से B.Com (Hons) एवं कोटा विश्वविद्यालय राजस्थान से M.Com हूं। मेरे इस वेबसाइट का नाम स्टेशन गुरुजी www.stationguruji.com हैं। मैं रेलवे विभागीय परीक्षा (Railway LDCE Exam), बच्चों के पढ़ाई लिखाई, नौजवानों के लिए मोटिवेशनल कहानी एवं निवेश, स्टॉक मार्केट संबंधी वित्तीय एवं ज्ञानवर्धक जानकारी शेयर करता रहता हूं। ( नोट - उपर में Download बटन लगा है। Download करने के लिए पेज़ पर सबसे नीचे View Non-AMP version पर क्लिक करें। फिर नए पेज़ पर Download बटन पर क्लिक करके इसे Download कर सकते हैं।)

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