Motivational Story – अपने आप को किसी से कम नहीं समझों

Last Updated on अक्टूबर 11, 2022 by Madan Jha

अपने आप को किसी से कम नहीं समझों

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है।

जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।

यदि हमें सुखी जीवन जीना है तो हमें दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए। जब भी आप दूसरों से तुलना करोगे तभी आप ओवरथिंकिंग के शिकार हो जाओगे।

अगर दूसरा व्यक्ति आपसे नीचे लेवल का है आप तो मन में खुशी होगी और आप इस खुशी में आलसी कि जीवन जीने लगोगे। यदि तुलना करने वाले व्यक्ति आपसे ऊपर लेवल का है तो  फिर आप अपने आप को नेगेटिव सोच में डाल दोगे।

दोनों स्थिति हम सभी के जीवन के लिए नुकसानदायक है। हमें अपने वर्तमान स्थिति से संतोष करना चाहिए।

इसका मतलब यह नहीं कि हमें आगे बढ़ने के लिए प्रयास नहीं करनी चाहिए। जिस प्रकार चिंता और चिंतन दोनों शब्द में अन्तर हैै। ठीक उसी प्रकार आलस और संतुष्टि दोनों में अंतर है।

यदि आप  अपने वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं तो हम आगे बढ़ने का प्रयास पूरे मन से करेंगे और उसमें सफलता भी मिलेगी। यदि आप अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट नहीं रहते हैं  तो हमारा किसी भी अन्य कामों में मन नहीं लगेगा और हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं।

इसलिए जीवन में संतुष्टि और आगे बढ़ना एक दूसरे का  सहयोगी शब्द है। आप सोच रहे होंगे शब्दों से हमें क्या लेना है।

दोस्तों मैं चाहता हूं कि आप हमेशा जीवन में आगे बढ़े। इसलिए मैं आपके लिए अच्छे-अच्छे मोटिवेशनल कहानी लाता रहता हूं। ज्ञानवर्धक बातें जैसे मन को शांत कैसे करें, चिंता को दूर करेंं, अपना स्वभाव बदलें, Successful लोगो की सोच अपनाएं इत्यादि।

जब आप अपने वर्तमान स्थिति से संतुष्ट होंगे तभी आपके अंदर एक आशावादी विचार उत्पन्न होगा। जब आप अपनी जिंदगी से असंतुष्ट रहेंगे तो आप कोई भी नया  विचार नहीं अपना सकते हैं।

इसलिए मैं आपके साथ आज एक अच्छा मोटिवेशनल कहानी शेयर कर रहा हूं जो आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है।

एक पत्थर तोड़ने वाले की मोटिवेशनल कहानी

एक व्यक्ति रोज पत्थर तोड़ने का काम करता था। वह घर से थोड़ा दूर बड़े से पर्वत के पत्थर तोड़ता और अपना जीवन यापन करता। एक दिन उस व्यक्ति ने सोचा कि क्या हम जीवन भर यही काम करते रहेंगे। क्या हमारे जिंदगी में कभी आराम नहीं मिलेगा?

बात सुनते ही उनके मन में एक असंतुष्टि की भावना उत्पन्न हो गया और वह अपने आप को कोसने लगा। असंतुष्टि की भावना के कारण उसे रातों में नींद आना बंद हो गया। वह हमेशा सोचने लगा कि मुझे बड़ा बनना है।

एक रात जब वह सो रहा था तो उसने एक सपना दिखाई दिया। जब वह पत्थर तोड़ने जा रहा था उसे रास्ते में एक बड़ा सा बंगला (बड़ा घर) दिखाई दिया। उन्होंने सोचा यह बंगला ही सबसे बड़ा है। यह मेरे पास होना चाहिए।

वह बहुत देर तक बंगला को देखता रहा। कुछ देर बाद एक व्यक्ति आया। जिसको सभी लोग  फूलों का माला पहनाया और जय कार करने लगा। वह व्यक्ति कोई  राजनेता था। उस पत्थर तोड़ने वाला ने सोचा कि यह बंगला तो बड़ा नहीं है। बड़ा तो वह व्यक्ति है जिसको सब इतना आदर सत्कार कर रहा है।

अब वह पत्थर तोड़ने वाला व्यक्ति सोचने लगा कि नहीं मुझे अब नेता बनना है। बंग्ला और नेता को धूप में खड़े होकर देखते-देखते पत्थर वाला पसीना से तरबतर हो गया। फिर उसने ऊपर देखा उसे सूरज दिखाई दिया।

तब उसने सोचा कि सबसे बड़ा यह सूरज है। जो इतना ऊपर चमक कर सब को रोशनी दे रहा है। मुझे भी कितना पसीना से तर-बतर कर दिया। मुझे तो अब सूरज बनना है।

वह सूरज को देख ही रहा था तभी एक घना बादल आया और सूरज को ढक दिया। पत्थर तोड़ने वाला  व्यक्ति ने सोचा यह बादल ही सबसे बड़ा है जो पूरे सूरज को ढक दिया।

वह व्यक्ति बादल को देख ही रहा था कि हवा का एक झोंका आया और बादल तो दूर लेकर चला गया। पत्थर तोड़ने वाला व्यक्ति देखता रह गया। यह क्या हो रहा है। हवा का झोंका बादल को उड़ा  के चला गया। हमें तो हवा बनना चाहिए। क्योंकि हवा के सबसे ताकतवर है।

यह बात वह पत्थर तोड़ने वाला व्यक्ति सोच ही रहा था की हवा एक  एक पहाड़ से टकराया और हवा ने अपना दिशा मोड़ दिया। इस पहाड़ टस से मस नहीं हुआ। यानी पहाड़ में दम है।  हमें तो पहाड़ बनना है।

तभी वह देखा कि एक व्यक्ति आ रहा है और अपने हथौड़ा से उस पहाड़ को टुकड़ा कर रहा है। यह क्या हो रहा हैं? इतना बड़ा पहाड़ जो हवा के विशाल झोंके का रास्ता बदलने के लिए मजबूर कर दिया, टस से मस नहीं हुआ उसे एक छोटा सा व्यक्ति तोड़ा है।

व्यक्ति बार-बार सोच रहा था नहीं यह नहीं हो सकता। यह कभी नहीं हो सकता। मुझे पत्थर तोड़ने वाला नहीं बनना है। किसी भी हाल में मुझे पत्थर तोड़ने वाला नहीं बनना है। क्योंकि वह स्वयं पत्थर तोड़ने वाला व्यक्ति था।

उसकी आंखों के सामने आ रहा था कि एक व्यक्ति पहाड़ के टुकड़े-टुकड़े कर रहा है। उनकी आंखें खुल गई। फिर उसने सोचा मैं जो हूं, जिस हाल में हूं, मैं ठीक हूं। यानी सबसे बड़ा मैं हूं जो इस पहाड़ को तोड़ रहा हूं।

ईश्वर ने आपको सबसे अलग बनाया है।

आप दूसरे की नकल करके ईश्वर का अपमान ना करें।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

दोस्तों हमारे पास जो चीज उपलब्ध हैं हम उसकी इज्जत नहीं करते। हम हमेशा दूसरों को देखते हैं। उसके पास क्या है जो हमारे पास नहीं हैं। इसी चक्कर में हम  असंतुष्ट और दीनहीन भावना महसूस करते हैं।

यदि आपको जीवन में आगे बढ़ना है तो अपने आप को हमेशा आशावादी बनाए रखें। आशा ही जीवन है।   आप जो है ठीक है। कुछ कमी है तो उसे दूर करने का प्रयास करें। ओवरथिंकिंग ना करें।

कोई भी व्यक्ति एवं कोई भी पद 100% अच्छा नहीं होता। कुछ ना कुछ उसमें कमी जरूर होती है। हमें उस कमी को दूर करना चाहिए ना कि असंतुष्ट रहना चाहिए।

आंखों में अगर हो गुरूर…

तो इंसान को इंसान नहीं दिखता

जैसे छत पर चढ़ जाओ तो

अपना ही मकान नहीं दिखता।

इसलिए आप जैसे भी हो, जिस हाल में भी हो, आपको खुश और संतुष्ट रहना चाहिए एवं जीवन में आगे बढ़ने का हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए।

आपको कभी रुकना नहीं है। ठहरा हुआ पानी बहुत जल्दी गंदा हो जाता है और बहता हुआ पानी कभी भी गंदा नहीं होता। इसलिए आपको हमेशा पानी की तरह बहते रहना है। आगे की ओर बढ़ते जाना है।

धन्यवाद।

लेखक

  • Madan Jha

    Hello friends, मेरा नाम मदन झा है। मैं LNMU Darbhanga से B.Com (Hons) एवं कोटा विश्वविद्यालय राजस्थान से M.Com हूं। मेरे इस वेबसाइट का नाम स्टेशन गुरुजी www.stationguruji.com हैं। मैं रेलवे विभागीय परीक्षा (Railway LDCE Exam), बच्चों के पढ़ाई लिखाई, नौजवानों के लिए मोटिवेशनल कहानी एवं निवेश, स्टॉक मार्केट संबंधी वित्तीय एवं ज्ञानवर्धक जानकारी शेयर करता रहता हूं।( नोट - उपर में Download बटन लगा है। Download करने के लिए पेज़ पर सबसे नीचे View Non-AMP version पर क्लिक करें। फिर नए पेज़ पर Download बटन पर क्लिक करके इसे Download कर सकते हैं।)

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