आपका व्यवहार
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कहा गया है कि आपका व्यवहार ही बताता है कि आप किस खानदान से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन कुछ हद तक सच्चाई यह भी है कि आपका खानदान आपके व्यवहार पर हावी रहता है।
यानी आप जिस खानदान से हैं आप वैसा ही व्यवहार कर सकते हैं। क्योंकि बचपन से आपने जो देखा है जो सीखा है आपका व्यवहार वैसा ही बना रहेगा।
आप अपने दैनिक जीवन में इस बातों को गौर किया होगा। कोई व्यक्ति छोटे पद पर होता है लेकिन उनका व्यवहार बहुत ही अच्छा रहता है। आपको मालूम पड़ जाता है कि यह व्यक्ति किसी अच्छे खानदान से ताल्लुक रखते हैं।
इसके विपरीत कई बड़े अधिकारी जो बहुत ऊंचे पद पर हैं लेकिन उनका व्यवहार बिल्कुल घटिया यूं कहें नीचे दर्जे का होता है। आप उस अधिकारी को देखकर मन ही मन सोचते होंगे यह कोई छोटे खानदान का व्यक्ति है। जिसने बचपन में कुछ सीखा ही नहीं है।
व्यवहार संबंधी एक मोटिवेशनल एवं रोचक कहानी
एक व्यक्ति राजा के दरबार में गया और बोला महाराज मुझे आप अपने दरबार में नौकरी पे रख लीजिए। राजा ने उस व्यक्ति से पूछा कि तुम्हारे पास ऐसा क्या खूबी है जिससे मैं तुम्हें अपने दरबार में नौकरी पर रख लूं।
उस व्यक्ति ने कहा महाराज मेरे पास वह खूबी है जो आपके इस राज दरबार में किसी भी मंत्री से लेकर संतरी तक के पास भी नहीं है। राजा ने कहा, अच्छा तो बताओ वह कौन सी खुबी तुम्हारे पास है।
उस व्यक्ति ने कहा, महाराज मेरे पास ऐसा खूबी है कि मैं किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर उसके बारे में बता सकता हूं। राजा ने कहा, बहुत अच्छी बात है। तुम आज से हमारे दरबार में नौकरी करों।
राजा ने अपना घुड़साल उसके जिम्मे सौंप दिया और बोला तुम हमारे घोड़े की देखभाल करो। कुछ दिन बाद राजा ने अपने सबसे प्रिय घोड़े को लेकर उसके पास गया और उस व्यक्ति से पूछा बताओ इसके बारे में। यह एक नस्ली घोड़ा है।
राजा ने कहा यह मेरा सबसे प्रिय घोड़ा है। उस व्यक्ति ने कहा माफ कीजिए महाराज, यह जो घोड़ा नस्ली तो नहीं है। राजा ने कहा यह कैसे हो सकता है? मैंने इसे लाखों मुद्रा में खरीदा हूं।
वह व्यक्ति ने राजा से कहा, आप पता लगा ले यह घोड़ा नस्ली नहीं है। राजा ने तुरंत उस व्यक्ति को बुलाया जिसने घोड़ा बेचा था। राजा ने उसे बोला तुम सही सही बताओ क्या घोड़ा नस्ली नहीं है?
घोड़ा बेचने वाला ने कहा महाराज बात सही है घोड़ा नस्ली नहीं है। बचपन में घोड़े की मां मर गई थी। मैंने इसे गाय का दूध पिला पिला कर बड़ा किया हूं।
राजा खुश हुआ फिर उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा तुम्हें कैसे पता कि यह घोड़ा नस्ली नहीं है। उस व्यक्ति ने कहा, महाराज नस्ली घोड़ा जब भी घास खाता है तो मुुंह ऊपर करके खाता है। यह घोड़ा मुंह को नीचे की करके गाय की तरह खा रहा था। तभी मैं समझ गया यह घोड़ा नस्ली नहीं है।
राजा बहुत खुश हुआ और उसे ढेर सारे गाय, भैंस, मुर्गा इनाम दिया। इनाम पाकर हुआ व्यक्ति भी बहुत खुश हुआ।
कुछ दिन बाद राजा उस व्यक्ति को बुलाया और बोला यह हमारी रानी है। इसे मैं दूसरे राज्य से शादी करके लाया हूं। यह बहुत खानदानी है। तुम बताओ मेरी रानी कैसी हैं?
उस व्यक्ति ने कहा, महाराज माफ कीजिए आप की रानी खानदानी नहीं है। राजा सोच में पड़ गया। तुरंत अपने सासू मां के पास गया और बोला क्या हमारी महारानी आपकी बेटी नहीं है? जो बात है, सही सही आप मुझे बताओ?
राजा की सासू मां बोली, महाराज बात सही है कि यह मेरी लड़की नहीं है। मेरी लड़की तो बचपन में ही मर गई थी। लेकिन आपके पिताजी और हमारे पति दोनों में गहरी दोस्ती थी। उन दोनों में एक समझौता हुआ था था कि हम दोनों एक-दूसरे बच्चे की शादी करेंगे।
हमारी बच्ची बचपन में ही मर गई थी। अब मुझे आपसे दोस्ती का रिश्ता रखना था। इसलिए मैंने किसी और लड़की को लेकर उससे आपकी शादी करा दी, ताकि हमारे दोनों राज्यों के बीच दोस्ती बना रहे।
राजा खुश हुआ। राजा ने उस व्यक्ति को बुलाया और बोला तुम्हें क्या पता मेरी रानी खानदानी नहीं है। उस व्यक्ति ने बताया महाराज, महारानी जिस तरह से अपने सेवकों के साथ गाली गलौज एवं अमर्यादित ढंग से पेश आती हैं यह किसी खानदानी महारानी के लक्षण नहीं है।
राजा फिर बहुत खुश हुआ। उसे ढेर सारे भेड़, बकरी, गाय, मुर्गा इनाम दिया। कुछ दिनों के बाद राजा ने फिर उस व्यक्ति को बुलाया। राजा को अपने ऊपर विश्वास था। फिर भी राजा ने कहा मेरे बारे में कुछ बताओ कि मैं कैसा राजा हूं?
व्यक्ति ने हाथ जोड़कर कहा महाराज बता तो दूंगा लेकिन पहले आप यह वादा करो कि आप मुझे जान से नहीं मारोगे। राजा ने कहा वादा रहा मैं तुम्हें जान से नहीं मारूंगा।
महाराज और बात तो सही है लेकिन आप राजा के पुत्र नहीं हैं। राजा को बहुत गुस्सा आया। यह कैसे हो सकता है कि मैं राजा के पुत्र नहीं हूं।
राजा तुरंत अपनी मां के पास गया और बोला, मां सही सही बताओ मैं किसका पुत्र हूं? राजा की मां ने कहा, हां बेटा बात सही है कि तुम हमारे पुत्र नहीं हो। हमारा पुत्र तो बचपन में ही गुजर गया था। इतने बड़े राजकाज की देखभाल करने के लिए हमने हमारे चरवाहा का पुत्र लेकर उसे गोद ले लिया और अपना राजा बनाया।
राजा फिर उस व्यक्ति के पास आया और खुश होकर उसे बहुत सारा इनाम दिया। फिर राजा ने उस व्यक्ति से बोला, यह बताओ तुम्हें कैसे पता कि मैं राजा का पुत्र नहीं हूं।
तब उस व्यक्ति ने बोला, महाराज जब कोई राजा खुश होते हैं तो इनाम में हीरा, मोती, सोना, चांदी देते हैं। लेकिन आप जब भी मुझ पर खुश हुएं है तब मुझे आप भेड़, बकरी, गाय इनाम दिए हैं। इसलिए मैं समझ गया आप किसी राजा के पुत्र नहीं हो सकते हैं।
इस कहानी से क्या सीख मिलती हैं
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं कि कोई भी व्यक्ति भले ही कितनी ऊंची पद पर पहुंच जाएं लेकिन उसका मूल गुण उसके शरीर से कभी नहीं जाता है। आप उस पर व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करके पता लगा सकते हैं।
वास्तव में व्यक्ति खानदानी है या नहीं। उसके व्यवहार देखकर हम बता सकते हैं कि वह किस खानदान का है। क्योंकि हम सब कुछ छुपा सकता है लेकिन अपना व्यवहार नहीं छुपा सकता है।
इसलिए जब आप किसी व्यक्ति के बारे में पता लगाना चाहे तो उसके व्यवहार देखकर पता लग जाएगा कि सच्चाई क्या है।
संक्षेप में
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