टोक्यो ओलंपिक 2021
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टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत में इस बार शानदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन है। क्योंकि इससे अच्छा प्रदर्शन आज तक भारत ने कभी नहीं किया था। भारत ने 1 स्वर्ण पदक, 2 रजक और 4 कांस्य सहित कुल 7 पदक जीते जो ऐतिहासिक हैं।
सभी ओलंपिक की तरह इस बार टोक्यो ओलंपिक 2021 में भी अमेरिका 113 पदकों के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। चीन 88 पदक जीतकर दूसरे स्थान पर और जापान 58 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर रहा। भारत का स्थान 47वां रहा।
वैसे हर बार की ओलंपिक में कुछ ना कुछ विशेष बात जरूर होती है जो मानवता और दुनिया को कुछ सीख और मोटिवेशन देता है। लेकिन उससे भी अच्छा मोटिवेशन हैं जीता हुआ पदक हार जाना।
दो कहानी बता रहा हूं जो पदक नहीं जीता बल्कि पूरी दुनिया के साथ-साथ अपनी प्रतिद्वंदी का दिल जीत लिया। दिल को जीतने वाला यह दो घटना आपके साथ शेयर कर रहा हूं। यह दोनों घटना टोक्यो ओलंपिक 2021 से संबंधित है, आपको भी अपनी सोच बदलने के मजबूर कर देगा
टोक्यो ओलम्पिक 2021 की यह दो महान घटनाएं जो स्वर्णिम इतिहास बन गईं। इस घटना को विश्व याद रखेंगी।
पहली घटना
केनिया के सुप्रसिद्ध धावक अबेल मुताई आलंपिक प्रतियोगिता में अंतिम राउंड में दौडते वक्त अंतिम लाइन से कुछ मीटर ही दूर थे और उनके सभी प्रतिस्पर्धी पीछे थे।
अबेल ने स्वर्ण पदक लगभग जीत ही लिया था। इतने में कुछ गलतफहमी के कारण वे अंतिम रेखा समझकर एक मिटर पहले ही रुक गए।
उनके पीछे आनेवाले स्पेन के इव्हान फर्नांडिस के ध्यान में आया कि अंतिम रेखा समझ नहीं आने की वजह से वह पहले ही रुक गए।
उसने चिल्लाकर अबेल को आगे जाने के लिए कहा लेकिन स्पेनिश भाषा नहीं समझने के वजह से वह वहीं खड़ा रहा। आखिर मे इव्हान ने उसे धकेल कर अंतिम रेखा तक पहूंचा दिया।
इस कारण अबेल का प्रथम तथा इव्हान का दूसरा स्थान आया। पत्रकारों ने जब इव्हान से पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया ? मौका मिलने के बावजूद तुमने प्रथम स्थान क्यों गंवाया ?
इव्हान ने कहा “मेरा सपना है कि हम एक दिन ऐसी मानव जाति बनाएं जो एक दूसरे को मदद करेगी ना कि उसकी भूल से फायदा उठाएगी।
मैने प्रथम स्थान नहीं गंवाया।
पत्रकार ने फिर कहा लेकिन तुमने कीनियाई प्रतिस्पर्धी को धकेलकर आगे लाए। इस पर इव्हान ने कहा “वह प्रथम था ही, यह प्रतियोगिता उसी की थी।”
पत्रकार ने फिर कहा ” लेकिन तुम स्वर्ण पदक जीत सकते थे” “तुम समझते हो उस जीतने का क्या अर्थ होता।
क्या मेरे पदक को सम्मान मिलता ?
क्या मेरी मां ने मुझे क्या कहा होता ?
संस्कार एक पीढी से दूसरी पीढी तक आगे जाते रहते है।
मैने अगली पीढी को क्या दिया होता ? दूसरों की दुर्बलता या अज्ञान का फायदा न उठाते हुए उनको मदद करने की सीख मेरी मां ने मुझे दी है।
दूसरी घटना
टोक्यो ओलंपिक 2021 में पुरुषों की हाई जम्प फाइनल।फाइनल में इटली के जियान मारको टेम्पबरी का सामना क़तर के मुताज़ इसा बर्शिम से हुआ।
दोनों ने 2.37 मीटर की छलांग लगाई और बराबरी पर रहे।उसके बाद ओलंपिक अधिकारियों ने उनमें से प्रत्येक को तीन और प्रयास दिए।
लेकिन वे 2.37 मीटर से अधिक तक नहीं पहुंच पाए। उन दोनों को एक और प्रयास दिया गया, लेकिन उसी वक़्त टाम्पबेरी पैर में गंभीर चोट के कारण अंतिम प्रयास से पीछे हट गए।
यह वह क्षण था जब मुताज़ बरशिम के सामने कोई दूसरा विरोधी नहीं था औऱ उस पल वह आसानी से अकेले सोने को जीत सकते थे।
लेकिन बर्शिम के दिमाग में कुछ घूम रहा था औऱ फ़िर कुछ सोचकर उसने एक अधिकारी से पूछा, अगर मैं भी अंतिम प्रयास से पीछे हट जाऊं तो क्या हम दोनों के बीच गोल्ड मैडल साझा किया जा सकता है ?
कुछ देर बाद एक आधिकारी जाँच कर पुष्टि करता है और कहता है “हाँ बेशक गोल्ड आप दोनों के बीच साझा किया जाएगा”।
बर्शिम के पास और ज्यादा सोचने के लिए कुछ नहीं था। उसने आखिरी प्रयास से हटने की घोषणा की। यह देख इटली का प्रतिद्वन्दी ताम्बरी दौड़ा और मुताज़ बरसीम को गले लगा कर चिल्लाया। दोनों भावुक होकर रोने लगे।
लोगों ने जो देखा वह खेलों में प्यार का एक बड़ा हिस्सा था जो दिलों को छूता है। यह अवर्णनीय खेल भावना को प्रकट करता है जो धर्मों, रंगों और सीमाओं को अप्रासंगिक बना देता है।
इंसान का किरदार किसी भी मैडल से बड़ा नहीं है।
दोनों घटना से क्या सीख मिली
जैसा कि आज आप देखते हैं लोग अपनी खुशी के लिए हजारों लोगों को दुख देने के लिए तैयार हैं। लोग अपना मंजिल पाने के लिए गलत रास्ते से गुजरने को तैयार हैं। धोखा, फरेब, छल कपट से भरा संसार अपनी कामयाबी के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
दोस्त-दोस्त, भाई-भाई एक दूसरे के पैर खींचने के लिए तैयार हैं। कहीं वह मुझसे आगे ना बढ़ जाए, कहीं वह मुझसे भी ज्यादा कामयाब ना हो जाए। दुनिया में एक दूसरे का बुरा करने की होड़ लगी है।
विश्व का सबसे बड़ा खेल महोत्सव टोक्यो ओलंपिक 2021 में कोई खिलाड़ी मानवता का यह मिसाल पेश करें। वास्तव में एक अजूबा से कम नहीं। यह भावना हम भारतीय में भी होना चाहिए।
मैं सोचता हूं क्यों अभी भी हमारा देश इतना पिछड़े हुए हैं। विश्व की कई देश जो हमसे बाद में आजाद हुआ वह हम से आगे चला गया और अभी तक हमारा देश विकसित देशों की श्रेणी में नहीं आ पाया हैं।
इसका मुख्य कारण हम सभी की सोचने समझने की शक्ति है। हम केवल अपने बारे में सोचते हैं। अपना लाभ चाहते हैं। केवल लेना चाहते हैं। जब कुछ देने की बात आती हो या कुछ भला करने की बात आती हो या दूसरे के बारे में अच्छा सोचने की बात आती हो तो हम अपना आंख बंद कर लेते हैं।
यही मूल कारण है जो हमारा देश के पीछे है। इसलिए हमको इस कहानी से सीख लेनी चाहिए कि हम कभी भी किसी व्यक्ति के अज्ञानता या बुरी स्थिति से फायदा नहीं उठाएंगे। बल्कि उस स्थिति में उसकी मदद करेंगे।
हमें किसी को हराना नहीं है बल्कि उसे जीतना है। हराना बहुत आसान है लेकिन जीतना उतना ही मुश्किल है। स्वर्ण पदक तो बहुत से खिलाड़ियों ने जीता लेकिन इस दोनों का नाम चर्चा में क्यों आ रहा है? क्योंकि इस दोनों खिलाड़ी ने पूरे दुनिया का दिल जीत लिया। इन्होंने मानवता का एक मिसाल पेश किया। यह खिलाड़ी हमेशा याद किए जाएंगे।
संक्षेप में
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जय हिंद