भाई बहन का प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन
Table of Contents
दुनिया में बहुत सारे रिश्ते हैं। जैसे पिता-पुत्र, मां बेटी, सास बहू, ससुर दामाद, देवरानी जेठानी, देवर भाभी, जीजा साली, भाई भतीजा। सभी रिश्ते का अपना महत्व है।
मां बाप के बाद सबसे प्यारा कोई रिश्ता है तो वह है भाई बहन का रिश्ता। यह बहुत ही प्यारा रिश्ता है। प्राचीन काल से चला आ रहा रक्षाबंधन का त्योहार है।
यही त्योहार है जो भाई-बहन के प्रेम का त्योहार है। वैसे किसी और रिश्ते का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। जिसे पिता-पुत्र रिश्ते का त्योहार, मां-बेटी के रिश्ते का त्योहार आप नहीं सुने होंगे। लेकिन कई सालों से आप रक्षाबंधन के नाम जरूर सुने होंगे।
रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का त्यौहार है। वैैसे तो रक्षाबंधन क्यों बनाया जाता है? इस संबंध में कई कहानी प्रचलित है। जैसे शिशुपाल से युद्ध करने वक्त भगवान कृष्ण के हाथ से खून निकल गया और द्रोपदी ने अपनी आंचल फार के उनके हाथ में बांध दिया। वह दिन श्रावन का पूर्णिमा था। उसी दिन से रक्षाबंधन का शुरुआत हुआ। और भी कई प्राचीन कहानी प्रसिद्ध है।
आज मैं आपको भाई बहन की एक बहुत ही अच्छी कहानी सुना रहा हूं। यह कहानी आप नहीं सुने होंगे। इस कहानी कोई काल्पनिक नहीं है बल्कि वास्तविक है। अभी भी लोग वहां पर जाते हैं।
भाई-बहन के प्रेम की मोटिवेशनल कहानी
एक गांव है पिपराली जो रंगोली नदी के किनारे बसी हुई है। जहां पर एक मुस्लिम परिवार में दो भाई-बहन रहते थे। चुकी वह देखने में गोरा था इसलिए भाई का नाम गौरा था और बहन का नाम गौरी बानो।
बचपन में ही मां बाप के गुज़र जाने के कारण भाई अपनी बहन को बहुत प्रेम करता था। समय बीतता गया। गोरा भाई बहन का प्रेम चलता रहा। जब भाई बड़ा हो गया तब सभी गांव वालों ने कहा अब तुम्हें शादी करना चाहिए।
सबने मिलकर गोरा भाई की शादी करा दी। शादी के बाद भी भाई को हमेशा बहन की चिंता लगा रहता था। बहन मेरी खाई कि नहीं, बहन को कोई दिक्कत तो नहीं, बहन के बारे में ही सोचता रहता था।
कुछ दिनों बाद गोरा भाई की पत्नी ने कहा की आपकी बहन बड़ी हो गई है अब इसका शादी कर दीजिए। कुछ समय बाद पिपराली गांव से थोड़ा दूर नदी के उस तरफ लोनिया गांव में उसकी शादी हो गई।
शादी के समय सभी लोग बहुत खुश थे। केवल गोरा भाई के आंखों से आंसू निकल रहा था। वह बार-बार सोच रहा था कि मेरी बहन मुझसे दूर जा रही है।
शादी के बाद गोरा भाई प्रत्येक हफ्ते अपनी बहन से मिलने जाता था। एक बार गोरा भाई बहन की गांव चला गया उसे आने का मन नहीं हो रहा था।
1 दिन हुआ, 2 दिन हुआ इस प्रकार कुल 5 दिन हो गए उसको बहन के यहां पर आएं। पांचवें दिन उसकी बहन की ननद ने कहा मेरा भाई ने आपकी बहन से शादी किया है आपसे नहीं। आपको 5 दिन हो गए, जाने का नाम ही नहीं ले रहे हो।
एक मजाक के लहजे में बोला। शाम को गोरा भाई ने अपने जीजा से कहा मैं अपनी बहन की बिना नहीं रह सकता हूं। एक काम करते हैं। रंगोली नदी के उस तरफ मेरा गांव है इस तरफ आपका गांव हैं। आप यहां ईट का मीनार बनाओ और मैं भी अपने गांव में एक ईट का मीनार बनाऊंगा।
प्रत्येक शाम को 7:00 बजे बत्ती लेकर मीनार के ऊपर हम भाई-बहन चढ़ेगे। यह दूसरे के देख लेंगे उसके बाद ही खाना खाएंगे। उस समय में स्मार्टफोन नहीं हुआ करता था।
बात हो गई। इधर गोरा भाई ने और उधर उसके जीजा ने एक ऊंचा मीनार बनाया। दोनों भाई बहन शाम को ठीक 7:00 बजे लालटेन लेकर जाता और एक दूसरे को देख लेता तभी खाना खाता। कई सालों तक यह चलता रहा।
एक दिन किसी कारण बस गोरा भाई को किसी काम से कहीं दूर जाना पड़ा। वह अपनी पत्नी को कहा कि शाम को 7:00 बजे लालटेन लेकर मीनार पर जाना। मेरी बहन तुम्हें देख लेगी तभी वह खाना खाएगी। यह कह कर वह चला गया।
शाम को 7:00 गोरा की बहन मीनार पर आ गए। पर उसे उसका भाई गौरा दिखाई नहीं दिया। वह काफी देर तक मीनार पर लालटेन लेकर खड़ी रही। बहन को चिंता में हो गया।
काफी समय बीत जाने के बाद बहन सोचने लगी, लगता है मेरा भाई इस दुनिया में नहीं रहा। यह सोचकर बहन ने उस मीनार से नीचे कूद गई और उसकी जान चली गई।
रात में गोरा जब वापस आया तो पत्नी से पूछा कि 7 बजे मीनार पर चढ़ी थी। उसकी पत्नी ने कहा अरे मैं तो घर के कामों मे व्यस्त हो गई इसलिए मैं तो भूल गई।
गोरा भाई को बहुत चिंता हो गया। वह रात में ही लालटेन लेकर मीनार पर चढ़ गया। बहुत देर तक इंतजार किया। बहन दिखाई नहीं दिया। वह सोचा शायद बहन इस दुनिया में नहीं रही। वह उस मीनार से कूदकर अपनी जान दे दिया।
वह जगह आज भी भाई-बहन के प्रेम के लिए प्रसिद्ध है। अभी भी लोग वहां पर उस मीनार को देखने के लिए जाते हैं।
इस कहानी से क्या सीख मिलती हैं
रक्षाबंधन त्यौहार हमें कुछ सिखाती हैं। केवल राखी बंधा लेना ही काफी नहीं है। आज के समाज में जहां बेटियों की इज्जत कम हो रही हैं। जहां लगभग लोग बेटा ही पसंद करते हैं। बेटीयां को मां के पेट में ही मार दिया जाता है।
आए दिन आप सुनते होंगे कि उसे नाली में या उस कचरे में 1 महीना या 1 दिन की लड़की मिली तो कितना दुख होता होगा। इस समाज में जहां बहु सब चाहती है लेकिन बेटी कोई भी नहीं चाहता।
समाज के कुछ गलत परंपरा , समाज की कुप्रथा एवं दहेज प्रथा जैसे राक्षस के कारण ऐसा हुआ है। हम सभी को मिलकर समाज के गलत प्रथा का विरोध करना चाहिए। इस रक्षाबंधन हमें यह संकल्प लेना होगा।
बहुत नसीब वाले होते हैं वो जिसके घर बेटी जन्म लेते हैं। कहा गया है कन्यादान से बढ़कर कोई भी दान नहीं होता। आप एक पुत्री के पिता है या बहन के भाई हैं यह आपके लिए बहुत बड़ा खुशनसीब की बात है।
भाई बहन का प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन सबके नसीब में नहीं होता। क्योंकि जिसके घर में बेटी ही नहीं है, जिस भाई को बहन ही नहीं है वह यह त्योहार चाह कर भी मना नहीं सकता।
कन्यादान सब नहीं कर सकता है। बेटी को जन्म देना सब के बस की बात नहीं है लेकिन दहेज जैसी कुप्रथा को रोकना, दूसरे की बेटी को इज्जत करना यह जरूर सबके बस में है।
दूसरे की बेटी की इज्जत करना सीखेंगे तभी तो आप अपने घर में आई बहू की इज्जत कर पाएंगे। प्रायः देखा गया है कि जिसकी बेटी नहीं होती उसकी बहु से मनमुटाव बना रहता है। क्योंकि एक लड़की के क्या शौक होते हैं? लड़की क्या चाहती है? इत्यादि को समझ नहीं पाती है।
यह आपके बस में इसे जरूर करें। भाई बहन के पावन अवसर रक्षाबंधन पर सभी को शुभकामनाएं। सभी भाई के पास बहन जरूर होना चाहिए।
स्टेशन गुरुजी
मेरे वेबसाइट का नाम स्टेशन गुरुजी है। मैं मोटिवेशनल कहानी, पढ़ाई लिखाई, वित्तीय जानकारी इत्यादि विषयों पर सच्ची एवं अच्छी जानकारी देता रहता हूं। यह आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
आप कभी भी गूगल में जाकर स्टेशन गुरुजी और उसके आगे अपना सवाल लिख दे। आपको उसका जवाब मिल जाएगा। यदि आपके मन में कोई और सवाल हो तो आप मुझे ईमेल कर दे। मैं आपको जवाब देने का प्रयास करूंगा। मेरा ईमेल आईडी है [email protected].
धन्यवाद।